Wednesday 1 June 2022

महाराष्ट्र में बनने जा रहा है डॉ. बाबासाहब आंबेडकर का सबसे भव्य स्मारक

 


मुर्ती की ऊँचाई 350 फिट रहेगी

नई दिल्ली, 01 जून : महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई के अरबी समुद्र किनारेपर  भारतरत्न डॉ. बाबासाहब आंबेडकर का सबसे भव्य स्मारक बनने जा रहा है. इस स्मारक में बाबासाहब आंबेडकर की 350 फिट उँची कांस्य की मुर्ती लगने वाली है.  लगनेवाली मुर्ती गाजियाबाद स्थित पद्मभूषण प्रख्यात मुर्तीकार राम सुतार बना रहे है. महाराष्ट्र सरकार के सामाजिक न्याय एवं विशेष सहायता विभाग की ओर से स्मारक बनने जा रहा है. इस कार्य का अब तक  75 प्रतिशत काम पुरा हो चुका है.   यह स्मारक मार्च 2024 तक  पूरा हो, ऐसी राज्य सरकार की मंशा  है.

            इस स्मारक के लिए लगभग 1100 करोड़ रूपयों का निधी का प्रावधान किया गया है. इसके लिए राज्यसरकार ने संशोधित  निधी को भी मंजुरी दी है. वर्ष 2022-23 के बजेट में इस स्मारक के लिए 200 करोड़ रूपयों का निधी उपलब्ध कराया गया है.  जिसमें से 28 करोड़ रूपये अब तक आवंटित  किए जा चुके हैं.  

ऐसी होगी स्मारक की खास‍ियत

संविधान के शिल्पकार भारतरत्न डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर का स्मारक मुंबईस्थित दादर  में  इंदु मिल की जगहपर बनने जा रहा है. मुंबई अंतरराष्ट्रीय स्तर का शहर है. महाराष्ट्र राज्य बाबासाहेब की कर्मभूमी रही है. मूलत: वे मराठी भाषिक थे. उनके प्रति श्रध्दा अर्पित करने के लिए तथा उनके किए गए सुधारवादी कार्यों को देश दुनियातक पहुँचाने के उद्देश्य से यह भव्य स्मारक बनाया जा रहा है. यह स्मारक केवल स्मारक न रहते हुए उनकेव्दारा किए गए  ऐतिहास‍िक कामों का लेखा जोखा रहेगा. जिसे नवप्रोद्योगिकता की सहायता से लोगों के सामने पेश किया जाएगा. जिसे देखकर लोगों में प्ररेणा और उमंग जागेगी .

इस स्मारक के लिए अत्याधुनिक नव प्रोद्योगिकता का इस्तमाल किया जा रहा है. लगभग सौ साल तक यह प्रतिमा यथास्थिती में रहेगी, ऐसा सरकार का नियोजन है. इस मुर्ती का वजन लगभग एक हजार टन रहेगा. यह कांस्य की मुर्ती रहेगी. 903 यह एक विशेष कांस्य धातु  है. जिसे मुंबई आयआयटीव्दारा मंजुर किया गया है.  इसमें 88 प्रतिशत कांस्य, 8 प्रतिशत टिन,और 4 प्रतिशत जिंक होता है. मुंबई के नमीभरे वातावरण का इस मूर्तीपर कोई असर नही होगा.  यह स्मारक अरबी समुद्र किनारेपर उभारने से प्राकृतिक आपदाओंसे आहत नही होगा इसका खास ध्यान रखा गया है. मुंबई का उमसभरा हवामान, समुद्री हवायें, समुद्री तूफान, हवा की गति तथा दिशा जैसे अनेक विषयों का ध्यान रखा गया है. इसी के साथ प्रतिमा की संरचनात्मक स्थिरता भी बहुत महत्वपूर्ण है. बाबासाहब की बहुतांश प्रतिमाएँ एक हाथ में संविधान की प्रत और दूसरे हाथ की ऊँगली सामने की दिशा की और इशारा करते हुए देखी हैं. यह विशालकाय प्रतिमा भी इसी तरह की है. इसलिए प्रतिमा के भीतर से क्रेन लगाकर विशेष व्यवस्था की जाएगी, जिससे  भविष्य में इस प्रतिमा का खंडन न हो सके.

 

यह स्मारक डॉ. बाबासाहब आंबेडकर के किए गए कामों का ज्वलंत उदाहरण रहेगा. हाल ही में राज्य के सामाजिक न्याय एवं विशेष सहाय्यता मंत्री धंनजय मुंडे तथा राज्य की शिक्षा मंत्री वर्षां गायकवाड ने गाजियाबाद स्थित राम सुतार आर्ट कपंनी में  भेट दी. यहीपर ही बाबासाहेब की विशाल प्रतिमा का कार्य तेज गती से चल रहा है.  श्री.मुंडे  ने इस प्रतिमा को मार्च 2024 से पूर्व पूर्ण करने के निर्देश संबंधितों को दिए है.

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