नई दिल्ली, 7 : महाराष्ट्र में सुखे की व्याप्ती बढ़ गई है. इसलिए राज्य को
अधिक आर्थिक मदत की आवश्यकता है. राज्य के 11 हजार नये गांव सुखाग्रस्त श्रेणी मे आ गयें है. इन सुखाग्रस्त गांव
की मदत के लिए पुरक प्रस्ताव की गुहार केंद्र सरकार को की है. जो केंद्र ने मान्य
की है. जल्द ही राज्य सरकार केंद्र को पुरक प्रस्ताव भेजेंगी, यह जानकारी
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने आज दि.
प्रधानमंत्री कार्यालय में महाराष्ट्र के
सुखाग्रस्त स्थिती की उच्चस्तरीय समीक्षा
बैठक हुई. प्रधानमंत्री के अध्यक्ष में यह
बैठक हुई. इस बैठक में मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, राज्य के मुख्य सचिव स्वाधीन
क्षत्रीय, वित्त विभाग के अपर मुख्य सचिव डी.के.जैन मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव प्रवीण परदेशी
साथही वरीष्ठ अधिकारी उपस्थित थे. बैठक के बाद महाराष्ट्र सदन में पत्रकार परीषद
आयोजित कि गई.
उच्च स्तरीय समिती की बैठक मे हुई चर्चा
के बारे में जारकारी देते हुयें मुख्यमंत्री ने कहा, राज्य में सुखे की व्याप्ती
बढ़ गई है. पहले सादर की गई सुखे की स्थिती में गांवों की बढ़ोतरी हुई है. इसलिए
सुखाग्रस्त की मदद के लिए पुरक प्रस्ताव सादर करने की गुहार लगाई गई. इसको केंद्र
ने मान्यता दि. केंद्र सरकार ने महाराष्ट्र को सुखे से निपटने के लिए अच्छा सहयोग
किया है. राज्य ने केंद्र सरकार को 4 हजार 500 करोड़ रूपयें की मांग की थी. इसमें
से केंद्र ने राज्य कों 3 हजार 50 करोड़ रूपयें जारी कीयें थे. अब तक यह की सबसे
बड़ी मदत थी. केंद्र तथा राज्य सरकारने अगले छह सप्ताह का मान्सून पूर्व कृती
प्लान तैयार किया है. इसमें बारशी के पूर्व करने वाले काम शामिल है.
सुखे के दिर्घकालीन उपाय योजनाओं के बारे
में बताते हुयें मुख्यमंत्री ने कहा, किसानों का उत्पादन दुगणा हो इसके लिए
कार्यक्रम तैयार किया है. इसमें किसानों के लिए सिंचाई की सुविधा उपलब्ध कराना,
बारीश के पाणी की अवलंबित्वता को कम करना, जलयुक्त शिवार योजना के माध्यम से बड़े
पैमाने पर विकेंद्रीत जल भंडारण का जलसंचय बढ़ाना
इस पर जोर दिया गया है. जलयुक्त शिवार का मुल यें एकीकृत वाटरशेड प्रबंधन
कार्यक्रम है. इसलिए इस योजना के अंतर्गत वितरीत होने वाले निधी में बढ़ोतरी कि
जायें. केंद्र व राज्य सरकार को मिलकर हरवर्ष इस योजनापर 5 हजार करोड़ रूपयें खर्च
किया जाना चाहियें. इस योजना के लिए सर्वाधिक मदद राज्य को मिलनी चाहियें ऐंसी
गुहार भी मुख्यमंत्री ने बैठक में लगाई.
प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के बारे में
बताते हुयें मुख्यमंत्री फडणवीस ने कहा,
इस योजना के अंतर्गत महाराष्ट्र के
26 प्रकल्प है. प्रकल्प में सिंचाई क्षमता
10 लाख हेक्टर है. इस प्रकल्प कि किंमत 20 हजार करोड़ रूपयें है. इस प्रकल्प की
किंमत निश्चीत करने के लिए वर्ष 2014-15 निर्धारित किया जाये. भुमी अधिग्रहण के
लिए लगने वाला निधी इसमें से अलग किया जायें, ऐसी मांग भी मुख्यमंत्री फडणवीस ने
बैठक में की.
विदर्भ तथा
मराठवाडा के लिए 7 हजार करोड़ रूपयें की परीयोजना
विदर्भ तथा मराठवाडा के आत्महत्याग्रस्त
भागों में शाश्वत सिंचाई व्यवस्था खड़ी करने के लियें राज्य सरकार ने 7 हजार करोड़
रूपयों की परीयोजना तैयार कि है. ये परियोजनायें अगले तीन वर्ष में पुरी हो सकती
है. इसलियें केंद्र सरकार यह रकम राज्य को
दे, यह मांग मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री को बैठक में की. पश्चिम महाराष्ट्र के
अवर्षण प्रवण तालुका में कुछ योजनायें
अगले दो से तीन वर्ष में पुरी हो सकती है. इस योजनाओं के लिए केंद्र सरकार 2 हजार
500 करोड़ रूपयों का पॅकेज दे, ऐसी मांग मुख्यमंत्री ने इस समय की.
महाराष्ट्र का
वित्तय प्लान 15 हजार करोड़ से बढ़ायें
महाराष्ट्र में 1 करोड़ 36 लाख खातेदार
किसान में से 58 लाख किसान कर्जा लेते है. बचे हुयें किसान क्रेडिट (ऋण) योजना में
अब तक आयें नही है. इसके लिए राज्य का वित्तीय ऋण प्लान 15 हजार करोड़ रूपयें
बढ़ाया जायें . जिससे 20 लाख नयें किसान क्रेडिट सूची में लायें जा सकते है. वर्ष
2012 से 2016 तक कर्जा न देने वाले किसानों की सूची को पुनर्रचीत करना होगा. इसके
लिए 3 हजार करोड़ रूपयों का निधी दिया जायें, ऐसी भी मांग बैठक में कि गई.
वर्ल्ड बैंक करेंगी
4 हजार गावों को मदत
विदर्भ तथा मराठवाडा के 4 हजार गावों में
सिंचाई की व्यवस्था खड़ी करने के लिए, फसल पद्धती का नियोजन करना, मार्केट से
जोड़ना ऐसा पायलट प्रोजेक्ट राज्य सरकार ने तैयार किया है. इस पायलय प्रोजेक्ट में
वर्ल्ड बैंक मदत करणे को तैयार है. इसके लिए आर्थिक व्यवहार मंत्रालय की ओर से
प्रस्ताव वर्ल्ड बैंक को भेजे ऐसा वर्ल्ड बैंक ने सूझाया है. इस प्रोजेक्ट को
केंद्रीय कृषी विभाग ने मान्यता दि है. अब यह प्रस्तात आर्थिक व्यवहार मंत्रालय
की ओर भेजा गया है. जल्द ही इस प्रस्ताव को मंजूरी दि जायेंगी तथा वर्ल्ड बैंक को
यह भेजा जायेंगा. यह जानकारी मुख्यमंत्री ने दि.
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत
महाराष्ट्र के 74 लाख हेक्टर भुमी का बीमा हुआ है. महाराष्ट्र में फिलहाल 27
प्रतिशत किसान बीमाधारक है. वर्तमान में की बीमा योजना किसानों की हित की है.
अधिकाधिक किसानों को इस योजना के तहत लाने का प्रयास किया जा रहा है. ऐसा
मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया.
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