Thursday, 8 September 2016

देश में भूकंप की आशंका के संदर्भ में सांसद नाना पटोले के महत्वपूर्ण सवाल


नवी दिल्ली-०८ : महाराष्ट्र के भंडारा-गोंदिया लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र से सांसद नाना पटोले के सवाल के जवाब में  पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय ने माना की भारतीय भूमि प्रतिवर्ष पूर्वोत्तर की ओर खिसक रही है. जिससे हिमालय क्षेत्र में भूकंप की घटनाएं होती है तथा इस संदर्भ में सतत अध्ययन कर देश के अन्य हिस्सों में इन घटनाओं से बचने हेतु लोगों को सचेत करने का कार्य सरकार कर रही है.
              हांलही में संपन्न हुऐ संसद के मान्सुन सत्र के दौरान श्री. पटोले ने यह गंभीर सवाल सदन में उठाया. भारतीय भूमि उत्तर की ओर झुकने की जानकारी है.  इस संबंध में सरकार कोई अध्ययन कर रही है क्या ऐसा पुछने पर सरकार की ओर से आए जबाब में भारतीय भूमि प्रति वर्ष लगभग ५ सें.मी. की दर से पूर्वोत्तर की ओर खिसकने की बात सामने आयी. ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम (जीपीएस) मापनों के माध्यम सें इस संदर्भ में अध्यय चल रहा है यह भी  मंत्रालय की ओर से बताया गया.
            भूमि के अंदर होने वाली हलचलों से देश में भूंकप आने के खतरे के बारे में श्री. पटोले ने सवाल करने पर जवाब हां में आया. देश के उत्तर में भारतीय भूमि यूरेशियाई भूमि से टकराने की बात सामने आयी. जिससे इन दोनों भूमियों के बिच होने वाले टकराव से हिमालय क्षेत्र में भूकंप आने की  जानकारी मंत्रालय ने दी है.   
            देश में भूकंप के आसार देखते हुए सरकार क्या कदम उठा रही है यह सवाल श्री पटोले ने पुछने पर बहुत सरकार द्वारा उठाये गए महत्वपूर्ण उपायों की जानकारी मिली. जिस में कहा गया है की, भूकंप रोधी ढांचो के निर्माण तथा मौजूदा भवनों की रिट्रोफिटिंग हेतु भारतीय मानक ब्युरो(बीआईएस) ने विभिन्न दिशा –निर्देश प्रकाशित किए है. राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए), गृहमंत्रालय, पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय तथा अन्य राज्यों के आपदा प्रबंधन प्राधिकरणों ने भी भूकंपो के सामान्य पहलुओं, उनके प्रभावों तथा उनसे होने वाली हानि को कम करने हेतु उपायों के बारे में जनसामान्य तथा स्कूली बच्चों को शिक्षित करने तथा उनमें जागरूकता बढाने हेतु अनेकों प्रयास प्रारंभ किए है. बाजारों, विद्यालयों, अस्पतालों तथा रेलवे और बस स्टेशनों, हवाई अड्डो इत्यादि में , आपदा प्रतिक्रिया, राहत और बचाव अभियानों से संबंधित मॉक ड्रिल आयोजित करके नियमित रूप से जागरूकता उत्पन्न की जाती है.                                                                                           
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