नई दिल्ली, 24 अक्टूबर : ‘दीपावाली अंक’ महाराष्ट्र की समृद्ध सांस्कृतिक परंपरा का प्रतीक है,
दिल्ली में महाराष्ट्र सूचना केन्द्र द्वारा मराठी लोगों के लिए दीपावाली अंक
उपलब्ध कराना इस परंपरा के अनुरुप होने की बात पंजाब केसरी अखबार के कार्यकारी
संपादक आकू श्रीवास्तव ने कही.
मंगलवार को यहां महाराष्ट्र सूचना
केन्द्र में दीपावाली अंक के प्रदर्शनी का उद्घाटन श्री. श्रीवास्तव के
करकमलोव्दारा किया गया. उन्होने कहा
कि दीवाली में विभिन्न व्यंजनों के आस्वाद के साथ दीपावली का अंक पढने मिलना
पाठकों के लिए निश्चित रुप से आनंद को द्विगुणित करने वाला है। श्री. श्रीवास्तव
ने इस दौरान महाराष्ट्र की समृद्ध परंपराओं का वर्णन करते हुए अपने स्वानुभव भी
व्यक्त किए।
उन्होने आगे कहा, महाराष्ट्र में
एक बड़ी वैचारिक परंपरा विद्यमान है। दीपावली अंक के माध्यम से कई बडे तथा नवोदित
लेखक विभिन्न विषयों पर अपने मत प्रकट करते है। इससे पाठकों को उत्तमोत्तम पढने का
अवसर मिल जाता है। साथ ही कईयों को यह पठन कई मायनों में प्रेरणादायक साबित होता
है।
कार्यक्रम के प्रास्ताविक में सूचना
केन्द्र के उपनिदेशक दयानंद कांबले ने दीपावली अंक के महत्व और सूचना केन्द्र के
दीपावली अंक प्रदर्शनी की परंपरा के बारे में जानकारी दी। इस मौके पर महाराष्ट्र सूचना
केन्द्र की सूचना अधिकारी अंजू निमसरकर-कांबले, पत्रकार निवेदिता वैश्यंपायन, पुस्तक वितरक मेंढके सहित अन्य कर्मचारी मौजूद थे।
सूचना केंद्र में दीपावली अंक पढने के लिए उपलब्ध
सूचना केन्द्र में आज से पाठकों के लिए दीपावली अंक
पढने के लिए उपलब्ध करा दिए गए है। इसमें साधना, उत्सव नात्याचा-झी मराठी, गृहलक्ष्मी, आवाज (पाटकर), पुढारी, लोकमत, दीपोत्सव, कालनिर्णय, सा.-सकाल, हास्यधमाल,लोकप्रभा, क्रिस्त्रीम, मार्मिक, मेनका, चारचौघी, माहेर, लोकसत्ता, महाराष्ट्र
टाइम्स,किशोर, उत्तम कथा, अंर्तनाद, पुरूषउवाच, चपराक, पुणे प्रतिष्ठान, श्री व सौ, पद्मगंधा, रुचिरा, सासर माहेर, गृहसंकेत, अलख निरंजन आदि कुल 138 दीपावली अंक शामिल है।
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