Wednesday, 21 June 2023

‘कडेगाँव’ छोटे से गाँव में हुआ बड़ा बदलाव


कडेगाँव’ छोटे से गाँव में हुआ बड़ा बदलाव

 

केंद्र सरकार की योजनो का ठिक से कर्यान्वय किया जाय तो बेहद सकारात्मक परिणाम सामने आ सकते है. इसका जीता जागता उदाहरण कडेगाँव है. जिसने पाणी की कमी को दूर कर गाँववालों को की जिंदगीयों में बदलाव लाया. उनके इस कार्य का सम्मान हाँलही में राजधानी दिल्ली में किया गया. उत्कृष्ट ग्राम पंचायत पुरस्कार की श्रेणी में जालना जिले के इस कडेगाँव ग्राम पंचायत को तिसरे पुरस्कार से उपराष्ट्रपती जगदीश धनखड की उपस्थिती में  केंद्रीय जल शक्ती मंत्री गजेंद्र शेखावत जी के हाथों सम्मानित किया गया.

 

कडेगाँव यह पास के खरपुडी में स्थित कृषि विज्ञान केंद्र के अंतर्गत आता है। कडेगाँव को 2015-16 में नेशनल इनोवेटिव क्लाइमेट रेजिलिएंट एग्रीकल्चर प्रोग्राम (एनआईसीआरए) के तहत गोद लिया गया था। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के मार्गदर्शन में इस गांव में विभिन्न जलवायु अनुकूल गतिविधियों को लागू किया गया है। जादा से जादा पाणी संचयन कैसे किया जा सकता है इसपर जोर दिया गया.

 इनमें प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन घटक के तहत गाँव में सीमेंट की नालियों का निर्माण किया गया. बांधों से किचड़ हटाकर उसे साफ किया गया.  परकोलेशन तालाबों को साफ कर वहा का किचड़ हटाया गया. भूमिगत प्लास्टिक बांधों का निर्माण कर पाणी संचयन किया गया.  कृत्रिम कुंओं का पुनर्भरण किया गया.  खेतों के झीलों से किचड़ निकाला गया. बालु की थैलियों को दबाकर चेकडॅम बनायें गये.  भुमिगत प्लास्टिक बांधों का निर्माण किया गया.  ऐसे अनेकानेक उपक्रम हाथ मे लियें गये. जिससे कडेगाँव   का पुरा रूप ही बदल गया.

इतना कर के ही गाँववासी रूके नही तो कृषी से डबल इन्कम कैसे मिल सकती है. इसका उपाय भी ढुंढ निकाला. कम सिंचाईवाली  की फसलों को प्रोत्साहित किया गया.  इसके तहत  गेहूं के स्थान पर शहतूत (रेशम उद्योग), ज्वार, चना जैसी फसले ली गई. कपास, मूंगफली,  सोयाबीन और अरहर की अंतर-फसल पद्धतियों को प्रोत्साहित किया गया।  ब्रॉड बेड और फरो (बीबीएफ) का इस्तेमाल कर सोयाबीन और चने की फसल के लिए किया जाता था। कपास की फसल में ड्रिप सिंचाई का प्रयोग किया जाता था। वाटरशेड क्षेत्र आधारित गतिविधियों - नए खेतोंकृषि के मशीनीकरण के अलावा विभिन्न गतिविधियों के माध्यम से किसानों को प्रशिक्षण देकर उनकी क्षमता में वृद्धि की गई। इन सभी उपचारात्मक योजनाओं के कारण गाँव में पानी की कमी पूरी तरह से दूर हो गई। इन सभी बदलावों के चलते गाँव ने पाणी कमी पर पुरी तरह मात कि गई है.  कडेगाँव के कियें गयें इन प्रयासों के चलते इस छोटे से ने गाँव राष्ट्रीय पटलपर पुरस्कार  हासील कर अपनी अलग से पहचान बनाई है. 

 


 

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