नई दिल्ली, 6 जनवरी : प्रसार
माध्यमों के वाचक,
दर्शकों की रूचीया बदल रही है. इस बदलती
अभीरूची को ध्यान में
रखते हुयें, प्रसार माध्यमों को अपनी शैली बदलनी चाहियें,
ऐसा मत वरिष्ठ पत्रकार अशोक वानखडे ने रखा.
महाराष्ट्र सूचना
केंद्र की ओर से महाराष्ट्र सदन मे ‘पत्रकार दिन’ तथा ‘सूचना केंद्र’ के स्थापना दिवस कार्यक्रम का आयोजन किया गया था. इस अवसर पर वे बोल रहे थे. ज्येष्ठ
पत्रकार विजय सातोकर प्रमुख वक्ता के रूप मे उपस्थित थे.
श्री वानखडे ने आगे कहा, आज संवाद की
साधनों में काफी बढोतरी हुई है. इस वजह से इस क्षेत्र में स्पर्धा भी बढी है. इन
सभी बातों को ध्यान मे रखते हुयें माध्यमों ने अपनी शैली में बदलाव करना चाहियें,
ताकी लोगों तक संदेश ठीक से पहुचें.
लोगोंपर अपने विचार लादने से बेहतर है जिसे जिस माध्यम मे जानकारी चाहियें
उसे उसी माध्यमव्दारा जानकारी पहुचाई जायें. इसके लिए भाषा तथा पेश करने की की पद्धती मे बदलाव करना होंगा. इस तरह
का बदला स्वीकारने से विकास पत्रकारीता को गती
मिलेंगी, ऐसा विश्वासभी उन्होंने जताया.
इस कार्यक्रम के
प्रमुख वक्ता तथा वरिष्ठ पत्रकार विजय सातोकर ने कहा,
बालशास्त्री जांभेकर ने मराठी समाचार
पत्रिका में आदर्श नीव रखी थी. इसके बाद प्रिंट मीडिया, रेडियों, न्युज चॅनल्स ऐसा मराठी पत्रकारीता का विकास हुआ.
बदलते परिवेश में प्रसार माध्यम क्षेत्र में विकास
पत्रकारिता के लिए जगह है क्या ? ऐसा
प्रश्न उपस्थित कर होता
है. जिन्हे अपने अस्तित्व को बचाए रखने के लिए स्पर्धा
करनी पड़ रही है. इस वजह से विकास पत्रकारिता की ओर ध्यान नही दिया जा रहा है.
वर्तमान में पत्रकारों का प्रत्यक्ष घटनास्थलपर जाकर लोगों से बातचीत करना, लोगों की
समस्या से वाकीफ होने का प्रमाण कम हो गया है, यह चिंता का विषय है. बदलते वक्त में छोटी-छोटी मासिक पत्रिका, साप्ताहीक पत्रिका, दैनिक चलायें जाते है. जो एक सोसायटी,
कज्बा, गाव की रोजमर्रा की खबरों को इकट्ठा लोगोंतक पहुचाते है. जिसके लिए डिग्री धारक पत्रकार
होना ही जरूरी नही है. यह काम कोई भी कर सकता है. जीसे सीटीझन पत्रकार का दर्जा
प्राप्त हो रहा है. यह एक विकास पत्रकारिता की दिशा का कदम होने की बात श्री. सातोकर ने कही.
उपनिदेशक दयानंद कांबले ने प्रस्ताविक करते
हुयें पत्रकार दिन तथा महाराष्ट्र सूचना केंद्र के स्थापना दिन की पार्श्वभूमि
रखी. कार्यक्रम का संचालन उपसंपादक रितेश भुयार ने किया तथा आभार सूचना अधिकारी
अंजू निमसरकर-कांबले ने माने.
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