नई
दिल्ली,
8 : पर्यावरण, वन और जलवायु परिर्वतन मंत्रालय
की ओर से जारी अधिसूचना के तहत बैलगाड़ी, सांडों की प्रतियोगता पर लगा प्रतिबंध
हटाया गया है.
भारत में रूढी पंरपरा के तौर पर बैलगाड़ी, सांडों की प्रतियोगिता का आयोजन विशेष
त्योहारों पर होता रहा है. पिछले कुछ वर्षोसे कुछ संगठणोंव्दारा इन दौड़ के बारे
पशुओं पर अत्याचार होते है, ऐसा कहा जाने लगा था. लेकीन अब नई जारी की गई अधिसूचना
के तहत बैलगाड़ी, सांडों की प्रतियोगता पर लगा प्रतिबंध हटालया गया है.
बैलगाड़ी, सांडो की शर्यत मुख्यत: खेतीहर किसान करते है. ऐसे बैलों, साडों का विशेष ध्यान भी रखा जाता. ऐसी
शर्यतें महाराष्ट्र, तमिलनाडु, कनार्टक, पंजाब, हरियाणा, केरल तथा गुजरात इन
राज्यों मे आयोजित कि जाती है.
जारी किये गये अधिसूचना में कहा गया है, इस तरह का
वार्षिक कार्यक्रम किसी जिलें मे होता होंगा तो इसके लिए जिला मजिस्ट्रेट व्दारा
स्पष्ट रूप से अनुमती लेनी होगी. बैलगाडी प्रतियोगीता का 2 किलो मिटर से अधिक ना
हो. तमिलनाडु के जल्लिकट्टू मे सांडों की प्रतियोगिता काआयोजन किया जाता है. यहा
15 किलो मिटर के बाड़े के अंदर ही आयोजन करना होंगा.
अधिसूचना में ऐसे पशु जो प्रतियोगिता मे हिस्सा लेंगे उनका
पालन और पशु चिकित्सा विभाग के प्राधिकारियों व्दारा उचित परीक्षण सुनिश्चित किया
जायें. किसी भी तरह के आयोजनों में भाग लेने के लिए वे अच्छी शारीरिक दशा मे हो. सांडो
को बेहतर प्रदर्शन करने के लिए किसी भी रूप में औषध नही दिया जायें.
यह
सुनिश्चित किया जाएगा कि ऐसे आयोजनों के दौरान पशुओं के प्रति क्रुरता का निवारण
अधिनियम, 1960 की धारा 3 और धारा 11 की उपधारा (1) के खंड (क) और खंड (ड) के अधीन पशुओं
वो प्रदत्त अधिकार और उच्चतम न्यायालय व्दारा 2014 की सिविल अपील सं. 5387 में
तारीख 7 मई,2014 के अपने आदेश में घोषित पांच स्वतंत्रताओं वो ऐसे आयोजन के दौरान पूर्ण
रूप से संरक्षित किए गए है. ऐसा जारी अधिसूचना में कहा गया है.
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