नई
दिल्ली, १8 : राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार की
घोषणा आज कि गई. देभभर के 25 बालकों को वीरता पुरस्कार से सन्मानित किया जायेंगा.
इनमें महाराष्ट्र के 4 बालकों का समावेश है. भारतीय बालकल्याण परिषद की अध्यक्षा
गीता सिध्दार्थ ने पत्रकार परिषद मे यह जानकारी आज दि.
प्रधानमंत्री
नरेंद्र मोदी के हाथों 24 जनवरी को सेव्हन रेसकोर्स उनके निवास स्थान पर यह
पुरस्कार प्रदान किये जायेंगे. वीरता पुरस्कार में सर्वोच्च ‘भारत पुरस्कार’ नागपूर के गौरव सहस्त्रबुध्दे को
मरणोपंरात घोषित किया गया. जलगांव जिले के कोथली के निलेश भील, वर्धा के वैभव घंगारे,
एवं मुंबई (वालकेश्वर) के मोहीत दलवी को वीरता पुरस्कार के लिए चुना गया. देशभर के कुल 25 बालकों को वर्ष
2015 का राष्ट्रीय वीरता़ पुरस्कार प्रदान
किया जायेंगा. इनमें 3 लड़कीया तथा 22 लड़के शामील है. पुरस्कार का स्वरूप पदक, प्रमाणपत्र, नगद रकम है.
इन
पुरस्कारों मे सर्वोच्च ‘भारत पुरस्कार’नागपुर
के गौरव कवडूजी सहस्त्रबुद्धे को मरणोपरांत
प्रदान किया जायेंगा. नागपुर के गौरव सहस्त्रबुध्दे 3 जून 2014 को अपने चार दोस्तो
के साथ अंबाझरी झील के पास खेल रहे थे. अचानक उनमें से एक का पैर फिसला और वह झील
मे डूबने लगा. यह देख, उसके मित्र उसे
बचाने के लिए पानी में कूद पड़े परन्तु वे भी डूबने लगे. उसी समय गौरव
सहस्त्रबुद्धे वहाँ पहुँचा. लड़को को डूबता देख उसने तुरन्त पानी में छलाँग लगा दी, और एक-एक कर उन्हे बाहर निकालने
लाग. परंतु चौथे लड़के को बाहर निकालते
वक्त वह काफी थक चुका था. अत: वह स्वंय झील में डूबने लाग. चारों
लड़के मदद के लिए चीख पुकार करने लगे वहाँ किसी को न पाकर वे पास से मछुआरों को
बुलाया बाद में गौरव का मृत शरीर निकाला गया. गौरव ने अदभुत साहस का परिचय देते
हुए चार बहुमूल्य जीवन बचाने की खातिर अपने प्राणों की आहूति दि. उसके इसी साहसिक
कार्य के लिए मरणोपरांत गौरव को ‘भारत पुरस्कार’ घोषित किया गया है. यह पुरस्कार उनकी माँ स्वीकारेगी.
जलगांव
के निलेश रेवाराम भिल 30 अगस्त 2014 को ऋषिपंचमी के अवसर पर अपने मामा के साथ
मुक्ताई मंदिर गया था. मंदिर में दर्शन के बाद, वह पेड़ के नीचे बैठकर भोजन कर रहा था. अचानक निलेश
को कुछ चीख की आवाज सुनाई दी. उसने देखा कि एक लड़का पानी में डूब रहा था. वह
तुरंत ही नदी में कूदा और उस लड़के को बचा लिया. उसके साहसिक कृत्य के लिए एसे वीरता पुरस्कार प्रदान
किया जायेंगा.
वर्धा
जिले के सेलू तहसील के वैभव रामेश्वर घंगारे ने 26 जुलाई 2014 को नंदा नदी में
गिरे सुहास नामक बच्चे को बचाया. सुहास
दूसरे बच्चों के साथ खेलते खेलते अचानक नंदा नदी में गिर गया. नदी में बाढ़ आई हुई
थी नदी के बहाव के साथ, वह पुल के नीचे एक
सीमेंट के पाईप में जाकर फँस गया. वैभव तुरतं ही नदी में कूद पड़ा सीमेंट पाइप से
सुहास को बाहर धकेलते हुए, वैभव ने उसे सुरक्षित नदी के किनारे ले आया. वैभव
घंगारे के शौर्यपूर्ण और सामयिक कृत्य ने डूबते हुए बच्चे के प्राण बचा लियें,
उसके इसी साहस के लिए वैभव को पुरस्कृत किया जायेंगा.
मुंबई
(वालकेश्वर) के मोहित महेंद्र दलवी ने कृष्णा नामक लड़की के प्राण बचायें जो गर्मी के छुट्टीयों में अपने मामा के घर आई थी.
25 अप्रैल 2015 को घर के सामने के तालाब में कृष्णा नहा रही थी. पानी का स्तर बहुत ज्यादा था और कृष्णा को तैरना
नही आता था. उसने अपने सहेली का हाथ पकड़ लिया उसे भी तैरना नही आता था. मोहित ने तुरंत तालाब में छलांग लगा दी और
कृष्णा को सुरक्षित पानी से बाहर निकाला. मोहित दलवी के असाधारण शौर्य से एक बहुमूल्य
जीवन बचा. इसी साहस के लिए महेंद्र को वीरता पुरस्कार दिया जायेंगा
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