श्रद्धेय अटल बिहारी वाजपेयी
...
अटल, अचल, नित्य...
अटल बिहारी वाजपेयी..
यह मात्र किसी
व्यक्ति का नाम नहीं,
बल्कि यह नाम है एक महासागर का..
नाम के भाँति ही अटल, अचल..
जिन्हें देखकर
राष्ट्रभक्ति इस शब्द का अर्थ समझ आता है, जिन्हें देखकर राष्ट्र के संपूर्ण विकास
के स्वप्नपूर्ति की अभिलाषा जाग उठती है, आदर्श, सत्यवचनी, कर्तव्य कठोर लेकिन उतने ही निर्मल मन के
महान नेता, आधुननिक युग के एक महापुरुष आज हमारे बीच नहीं
रहे, यह बेहद बेहद पीड़ायुक्त है।
हमारे
महान नेता, राष्ट्रपुरुष श्रद्धेय अटलजी का हमारे बीच से चले जाना, यह मेरी निजी तौर पर क्षति है! जिन नेताओ को देखते हुए हम राजनीति की
सीढ़ियां चढ़े, उन आदर्शों में से श्रद्धेय अटलजी एक!
लोकतंत्र में विभिन्न आयुधो का इस्तेमाल कर के समाज और समाज के आखिरी स्तर के वर्ग
की सेवा कैसे कर सकते है, इसका आदर्श पाठ़ उन्होंने अपने
लंबे राजनैतिक जीवन के माध्यम से पढ़ाया हैं। मैं उन्हें भावपूर्ण श्रद्धांजली
अर्पण करता हूँ..
आज
मेरे बचपन की कई यादें आँखो के सामने जाग गयी हैं। स्व. प्रमोद जी महाजन के साथ
में उनसे हुई पहली मुलाकात,
उसके बाद में निरंतर उनके द्वारा प्राप्त मार्गदर्शन और हाल हीं में
उनके निजी निवास वर मुलाकात, यह सारा सफर मानो सपने जैसा
लगता है। श्रद्धेय अटल जी के यूं अचानक चले जाने से ऐसी शून्यता बनी है, जिसे कभी भरना संभव नहीं होगा।
तन, मन, धन से राष्ट्र के लिए अपना सर्वस्व न्योंछ़ावर करनेवाले हम सभी के
श्रद्धेय अटल जी यह लाडले नेता थे। संसद हो या कोई जन सभा, श्रद्धेय
अटल जी को सुनने जैसा ज्ञान आनंद नहीं। ज्ञान के महासागर, सहज
और ओजस्वी वक्ता, त्याग की तपमूर्ति का चले जाना, बेहद कष्टदायक है। जिस कमी को कभी पूरा नहीं किया जा सकता, ऐसी यह बड़ी हानि है।
श्रद्धेय
अटलजी उनके विचार एवं मार्गदर्शन के रुप में हम सभी को सदा प्रेरणा देते रहेंगे।
सिर्फ बिते समय के ही नहीं,
बल्कि आनेवाले कई पिढियो के भी वें मार्गदर्शक रहेंगे। इस राष्ट्रऋषि
को मैं शतश: नमन करता हूँ। इस दु:ख के प्रसंग से बाहर निकलना या उनके जाने से जो
हानि हुई है, उसकी भरपाई होना असम्भव है।
श्रद्धेय
अटलजी केवल भाजपा के ही नहीं अपितु इस देश के सर्वोच्च नेता थे। जिन गिनेचुने
नेताओ को विश्वभर में आदर-सम्मान प्राप्त हुआ, उनमें से अटलजी एक। विश्वमान्यता
प्राप्त अटलजी का नेतृत्व सभी राजनीतिक पार्टियो में भी सर्वमान्य था।
एक
विशाल हृदयवाले,
खुले मन के नेता सदा हमारे साथ बने रहे, ऐसी
हम सबकी कामना थी। लेकिन, नियति पर हमारा कोई वश नहीं होता।
आज जहां भारत के परम वैभव का सफ़र तेजी से हो रहा है, ऐसे
समय में, इस परम वैभव के सफ़र की नींव जिन्होंने रखी,
वें हमारे बीच होते तो इससे बड़ा आनंद का अवसर कोई दुजा नहीं होता।
लेकिन, नियति को यह
मंजूर नहीं।
अटल जी एक कविता में
कहते हैं,
ठन गई।
मौत से ठन गई।
मैं जी भर जिया, मैं मन से
मरूँ
लौटकर आऊँगा, कूच से क्यों
डरूँ?
अटल
जी हमारे बीच में नहीं हैं,
इस सत्य को स्वीकार करते हुए मन को कठोर बनाना हीं होगा। मैं,
समूचे देश में फैले भारतीय जनता पार्टी के हर कार्यकर्ता के,
अटलजी पर जिन्होंने असीमित प्रेम किया, ऐसे
राष्ट्र के सभी नागरिको के दुख में शामिल हूँ। इस दुख की घड़ी में हम विवश हैं,
एक दुजे को संभालने के अलावा हम कर भी क्या सकते हैं?
यह अटल और अचल
नेतृत्व हमेशा हमारे साथ हीं रहेगा, विचारो के रुप में, दिशादर्शक के रुप में और मार्गदर्शक के रुप में...
मेरी भावपूर्ण
श्रद्धांजलि...
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